अब तक भारत को आइना दिखाने वाली चीनी मीडिया को आई अकल, अपनी ही सरकार को भारत के इस बड़े काम के लिए दे डाली नसीहत..

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सिक्किम में भारत चीन सीमा विवाद के बीच जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था तब चीनी सरकार और मीडिया ने भारत की ओर आक्रामक रुख अख्तियार किया था l भारतीय सैनिको को ज़बरदस्ती पीछे हटने की धमकी तक भी दी गयी थी l चीनी मीडिया की इसी गीदड़भबकी का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था की आज का भारत 1962 से काफी ज्यादा ताकतवर है और चीन को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए l इन्ही सब विवादों के बीच जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात G20 सम्मलेन के दौरान हुई थी, तब ऐसा लगा की शायद अब दोनों देशों के बीच रिश्तों में थोडा सुधार आएगा l

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चीन और भारत के बीच इस राजनीतिक वातावरण के बाद अब चीन के एक सरकार द्वारा संचालित अखबार ने आज कहा है की भारत काफी मात्र में विदेशी निवेश प्राप्त कर रहा है जो वह निर्माण क्षेत्र को विकसित करने की इसकी क्षमता को बहुत तेजी से बढ़ाएगा। इसीलिए चीन को शांत रहना चाहिए और इस नए युग के लिए कहीं अधिक प्रभावी वृद्धि की रणनीति पर काम शुरू करना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स में छपी इस खबर में कहा गया है की विदेशी विनिर्माताओं के निवेश का भारी प्रवाह भारत की अर्थव्यवस्था, रोजगार और औद्योगिक विकास के लिए काफी मायने रखता है l इसी लेख में आगे कहा गया है की भारत की वृद्धि देखते हुए चीन को शांत रहना चाहिए l

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कल तक जो मीडिया भारत को युद्ध की धमकी दस्ता हुआ नज़र आ रहा था, आज वो चीनी मीडिया कुछ अलग ही बोल रहां है l ये बयान इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वक़्त भारत और चीन के बीच काफी तनाव चल रहा है और दोनों देशों में युद्ध तक की भी नौबत आ गयी थी l चीन की ये चिंता इसलिए भी लाज़मी है क्योंकि चीन भारत पर भी बहुत निर्भर है अगर भारत चीन के साथ सारा कारोबार बंद करदे तो उसे अरबों खरबों रूपए का घाटा होगा l

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भारत से प्रतिस्पर्धा करने के लिए चीन को अब एक नए युग के लिए कही अधिक प्रभावी वृद्धि रणनीति पर काम शुरू करना चाहिए l विदेशी विनिर्माताओं के आने से भारत की कुछ कमजोरियां दूर होंगी और इसके विनिर्माण की क्षमता बढ़ेगी l चीनी कंपनियां भी इस प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभा रही है l हालंकि, ग्लोबल टाइम्स में छपे इस लेख से ये साबित हो जाता है की चीन भारत को लेकर जल्दबाजी में कोई बेवकूफी भरी हरकत नही करेगी l दोनों ही देशों को विकास पथ पर चलने के लिए एक दुसरे की ज़रुरत है l

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