देवों के देव महादेव शिव भगवान को पूजने वाले भक्तों की कोई कमी नही है l उनके भक्त देश में ही नही विदेशों में भी फैले हैं l यह सब भगवान के प्रति लोगों की निस्वार्थ आस्था है l इन्हें देवों के देव अर्थात् महादेव तो कहते ही हैं इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से जाना जाता है l भगवान शिव त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश ) में से एक देव हैं l वैसे तो अकसर त्रिदेवों का नाम लेने के क्रम में ब्रह्मा, विष्णु और महेश बोला जाता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है, कि सभी भगवान के मंदिर होते हैं और जहां देखो मिल जाएंगे, पर भगवान ब्रह्मा जी के मंदिर क्यों नहीं देखे जाते?
बहरहाल, इसका जवाब हमें पौराणिक कथाओं में ही मिल सकता है लेकिन पौराणिक कथाओं में भी कई तरह के सिद्धांत और कहानियाँ बतायी गयी हैं l तो आज इस पोस्ट में हम बतायेंगे क्यों काटा था भगवान शिव ने ब्रह्मा जी का पाँचवा सिर l और क्यों नहीं है भगवान ब्रह्मा जी के मंदिर l
धर्म ग्रंथों के अनुसार भैरव भगवान शिव का ही एक अवतार हैं l भैरव के स्वभाव में क्रोध है, तामसिक भाव है l इस अवतार का मूल उद्देश्य सारी बुराईयों को समावेश करने के पश्चात भी अपने अंदर धर्म को स्थापित करना है l शिव पुराण में भगवान शंकर के इस रूप के संदर्भ में लिखा गया ये लिखा गया है l हिंदू पौराणिक कथाओं मे ब्रह्मा के चार सिर समझाने के लिए उसकी कहानी का उपयोग होता है| जब ब्रह्मा जी ने शत्रुपा को बनाया, तब ब्रह्मा तुरंत शत्रुपा पर मुग्ध हो गए थे उन्होंने पहले इस तरह की सुंदरता कभी नहीं देखी थी। ब्रह्मा शत्रुपा का हर जगह पीछा करने लगे, शत्रुपा ब्रह्मा की टकटकी नजर से बचने के लिए विभिन्न दिशाओं में जाने लगी। वह जहाँ भी जाती जिस दिशा में भी जाती, ब्रह्मा उस पर नजर रखने के लिए अपना एक सिर विकसित कर लेते थे। इस प्रकार, ब्रह्मा के पांच सिर हो गए, हर तरफ एक सिर और पांचवां चार सरो के ऊपर विकसित कर लिया l
ब्रह्मा के इस व्यवहार से मायूस, शत्रुपा बैचेन हो गई| तब भगवान महेश शिव, विध्वंसक, यह सब देख रहै थे और ब्रह्मा की कार्रवाई से बहुत नाराज थे| तब भगवान शिव प्रकट हुए और ब्रह्मा को सबक सिखाने के लिए उनका पांचवा सिर काट दिया और निर्धारित किया कि शत्रुपा ब्रह्मा की बेटी है क्योंकि शत्रुपा का निर्माण उसके द्वारा हुआ और ब्रह्मा का शत्रुपा पर मुग्ध होना अत्यंत गलत है| ब्रम्हा जी का सर काटने के बाद भगवान शिव ने निर्देश दिया और कहा कि “अपवित्र” ब्रह्मा के लिए इस ब्रह्माण्ड में कोई उचित तपस्या का स्थान नहीं होग। इस प्रकार, त्रिमूर्ति, में अन्य दो देवताओं विष्णु और शिव कि पूजा जारी है और ब्रह्मा लगभग पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिए गए, इस घटना के बाद पश्चाताप से पीङित ब्रह्मा ने हर मुंह से एक वेद का पाठ भी किया ।
भारत में सभी देवी-देवताओं के मंदिर तो सहज ही मिल जाएंगे, पर ब्रह्मा जी का मंदिर विरले ही आपको देखने को मिलेगा। सरस्वती (विद्या की देवी) और ब्रह्मा (सृष्टि के रचनाकार) के भी मंदिर आपको शायद ही कभी मिल पायेंगे। भारत में सभी देवी-देवताओं के मंदिर तो सहज ही मिल जाएंगे, पर ब्रह्मा जी का मंदिर विरले ही आपको देखने को मिलेगा। सरस्वती (विद्या की देवी) और ब्रह्मा (सृष्टि के रचनाकार) के भी मंदिर आपको शायद ही कभी मिल पायेंगे।
नीचे देखें वीडियो आखिर क्यों काटा था भगवान शिव ने ब्रह्मा जी का पाँचवा सिर…