राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई है। एनडीए की तरफ से जहां बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम आगे बढ़ाया गया और उनका राष्ट्रपति भी बनना करीब तय माना जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृ्त्व में विपक्षी दलों ने पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को उतारने का फैसला किया है। मीरा कुमार के राष्ट्रपति चुनाव में उतरने के बाद सियासी रोमांच पैदा हो गया है। अब देखना ये है की कौन बाज़ी मारता है.
हालांकि, मीरा कुमार को विपक्षी दलों की तरफ से उतारना एक सांकेतिक विरोध ही माना जा रहा है क्योंकि एनडीए के पास राष्ट्रपति बनाए जाने के लिए जरूरी आंकड़े मौजूद है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि रामनाथ कोविंद के मुकाबले में विपक्ष को मीरा कुमार को क्यों उतारना पड़ा? रामनाथ कोविंद कानपुर के रहनेवाले है और भारतीय जनता पार्टी का एक बड़ा दलित चेहरा हैं। जबकि, मीरा कुमार भी कांग्रेस की तरफ से एक बड़ा दलित चेहरा हैं। एनडीए के दलित चेहरे के काट के तौर पर पहले से ही माना जा रहा था कि विपक्षी दल कोई ऐसा चेहरा उतारेंगे जिससे इस बात का संदेश ना जाए कि उन्होंने एनडीए की तरफ से उतारे गए दलित चेहरे का विरोध किया है।