इसके साथ लोगों पर भी उसकी सजा का असर रहे. मेरा मानना हैं यदि पैर या हाथ काटने या castration या अंग काटने जैसे सुझाव सजा में रखें जाए तो Human Rights Commission को यह मंज़ूर कभी नहीं होगा साथ में देश की मतदान पर आधारित राजनीती ऐसा कानून को कभी नहीं बनने देगी.
यदि महिलाएं preventive measures की बात करती हैं फिर भी अपराध बिलकुल भी नहीं रुकेगा. यह तो आज भी महिलायें कर रही हैं. अपराधी एक छोटी बच्ची से लेकर ८० वर्ष के महिला को भी किसी समय या किसी जगह पर बलात्कार करने से नहीं रुकते. भारत के अँधा कानून में महीलायों को एक बेहतर समाज में रहने के लिए कब परिवर्तन होगा? इस देश के समाज और कानून दोनों में खामियां हैं .
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