यह किसी भी देश के लिए सबसे घातक होगा। ऐसे वक्त में कोई भी देश अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह से विफल हो जाएगा और उस वक्त यदि उस पर हमला होता है तो वह कुछ नहीं कर पाएगा। अमेरिका की युद्ध रणनीति का यह सबसे घातक हथियार होगा। इस वैपन से कुछ खास इमारतों को टारगेट किया जाता है और फिर यह वैपन उसके ऊपर से गुजरता हुआ एक मैगनेटिक फील्ड बनाता है।
इसके सहारे एक करंट छोड़ा जाता है जिससे इमारत में रखे सभी इलैक्ट्रोनिक सिस्टम जिसमें कंप्यूटर भी शामिल होता है, काम करना बंद कर देता है। अमेरिका की बोइंग कंपनी इस सिस्टम पर काम कर रही है।ईएमपी वैपन सिस्टम कई देशों के लिए चिंता की बात हो सकती है। लेकिन हम आपको बता दें कि भारत इस चुनौती को पहले से ही भांपते हुए इस पर काम कर रहा है। डीआरडीओ करीब तीन वर्षों से इस वैपन सिस्टम और इसकी काट पर काम कर रहा है। डीआरडीओ इस क्षेत्र में काफी आगे बढ़ चुका है। लिहाजा भारत को इससे डरने की जरूरत नहीं है। भारत अमेरिका के इस घातक हथियार का जवाब अब उसी की ही भाषा में देने की तैयारी कर रहा है। भविष्य में उसको इसका जवाब मिल भी जाएगा। लेकिन यहां पर एक बात जो बेहद खास है वह ये है कि अमेरिका का जो वैपन दुनिया के सामने आ रहा है उसका अहसास पहले से भी डीआरडीओ को था, जिसपर काम भी तुरंत शुरू कर दिया गया था।