दुनिया के सुपर पावर देश अमेरिका को अब भारत उसी की ही भाषा में जवाब देने की तैयारी कर रहा है। यह तैयारी डीआरडीओ के जरिए की जा रही है। अगर आपको याद हो तो कुछ समय पहले अमेरिका का एक हाईटैक वैपन का जिक्र मीडिया में किया गया था। यह वैपन बिना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाए अपना काम करता था। इसका टारगेट केवल कुछ मशीनी उपकरण होते हैं। लेकिन इस वैपन के पीछे जो सच छिपा है वह वास्तव में बेहद खतरनाक है। इस वैपन का नाम इलैक्ट्रोमैगनेटिक पल्स वैपन सिस्टम है। हालांकि अमेरिका के इस प्रोजेक्ट का नाम है ‘चैंप’। अमेरिका अपने इस वैपन को अपनी वायु सेना समेत नौसेना में शामिल कर चुका है। यह वैपन भविष्य में युद्ध की तस्वीर को पूरी तरह से बदल कर रख देगा।
दरअसल, यह वैपन सेना और सरकार की मदद के लिए साबित होने वाली उन तमान चीजों को पंगु बना देता है जिनसे जानकारी लेकर वह आगे का फैसला करते हैं या अपनी रणनीति बनाते हैं। ईएमपी वैपन सिस्टम वास्तव में सेना और सरकार की मदद कर रहे कंप्यूटर के लिए घातक साबित होता है। इसको यदि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कंप्यूटर के नाकाम हो जाने के बाद सैटेलाइट से इनका कनेक्शन खत्म हो जाता है।इससे खबरों और जानकारियों का आदान-प्रदान पूरी तरह से बाधित हो जाता है। इसका सबसे घातक परिणाम यह होगा कि सैटेलाइट से कनेक्शन टूट जाने की वजह से सीमा पर चौकसी कर रही सेना का संपर्क भी एक दूसरे से टूट जाएगा। ऐसे में न तो किसी फैसले की जानकारी सुरक्षाबलों तक पहुंचाई जा सकेगी और न ही उनका कोई आपात संदेश ही आ सकेगा। भारत भी अब किसी से कम नहीं रह गया है वो ईट का जवाब पत्थर से देने को तैयार है|