भ्रष्ट कर्मचारियों की अब खैर नहीं, मोदी सरकार ने बदला 50 साल पुराना कानून, किया कुछ ऐसा

मोदी सरकार ने बड़का 50 साल पुराना कानून!!!

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संशोधित नियम कहते हैं कि जांच प्राधिकरण को छह महीने के अंदर तहकीकात पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंप देनी होगी। इसमें कहा गया है कि हालांकि अनुशासनात्मक प्राधिकरण द्वारा लिखित में अच्छा और पर्याप्त कारण बताए जाने पर अधिकतम छह महीने का अतिरिक्त जांच विस्तार दिया जा सकता है, और कहा गया है की इसी निर्धारित समय में उन्हें जांच करनी है |

नया नियम अखिल भारतीय सेवाओं के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) व भारतीय वन सेना (आइएफओएस) तथा कुछ अन्य श्रेणियों के अफसरों को छोड़कर अन्य सभी कर्मचारियों पर लागू होगा।हाल ही में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों, बीमा कंपनियों और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से भ्रष्टाचार के लंबित मामलों की जांच में तेजी लाने को कहा था। भ्रष्टाचार विरोधी निकाय ने सभी विभागों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों से लिख कर कहा कि वे शिकायतों पर जांच रिपोर्टों में भी तेजी लाएं। सीवीसी सरकारी संगठनों में भ्रष्टाचार की शिकायतें जांच और रिपोर्ट के लिए संबंधित सीवीओ को भेजता है।

 

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