1992 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने ISRO पर प्रतिबंध लगा दिया था। इतना ही नहीं, उस समय अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाकर उसे ISRO के साथ क्रायोजेनिक इंजन तकनीक साझा करने से भी रोक दिया था। अमेरिका की इन सभी कोशिशों का मकसद भारत को मिसाइल विकसित करने की तकनीक हासिल करने से रोकना था। तमाम प्रतिबंधों और मुश्किलों के बाद भी इसरो GSLV को बनाने में कामयाब रहा। इसमें लगने वाले क्रायोजेनिक इंजन को भारत में ही विकसित किया गया। इसे बनाने की मुश्किलों की वजह से ही शायद इसरो की टीम GSLV को नटखट बच्चा के नाम से पुकारा करती थी।
1 इसमें दो फ्रीक्वेंसी की रडार प्रणाली, 13 सेन्टीमीटर का एस बैंड एसएआर और 24 सेमी को एल बैंड एसएआर होगी। एस बैंड एसएआर को इसरो और एल बैंड एसएआर को नासा बना रहा है।2 डाटा के लिए उच्च गुणवत्ता के संचार का उपतंत्र, जीपीएस रिसीवरस सॉलिड स्टेट रिकॉर्डर, पेलोड डाटा उपतंत्र नासा उपलब्ध कराएगा।3 इसरो निसार का मॉडल तय करेगा, जियोसिनक्रोनस सेटेलाइट लॉंच व्हीकल और प्रक्षेपण से जुड़ी अन्य सेवाएं उपलब्ध कराएगा।