25 साल पहले वर्ष 1992 में स्पेस में भारत की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका ने जबरदस्त चाल चली। क्रायोजेनिक तकनीक के हस्तांतरण पर अमेरिकी प्रशासन ने रूस को स्पष्ट कर दिया कि किसी भी हालात में वो भारत को तकनीकी मुहैया न कराए।
लेकिन भारत ने अमेरिका की चुनौती को स्वीकार किया और क्रायोजेनिक तकनीक का इजाद किया। लेकिन आज तस्वीर बदल चुकी है। अमेरिका जो पहले भारत के खिलाफ आंखें तरेरता था वो नजर अब झुक चुकी है। अमेरिका ने करीब 1.5 बिलियन डॉलर के निसार प्रोजेक्ट पर इसरो के साथ मिलकर आगे बढ़ने का फैसला किया है। 1988 से 2017 तक भारत 22 रिमोट सेंसिंग उपग्रह लॉन्च कर चुका है।जिसमें एक हादसे का शिकार हो गया था। इस समय 13 रिमोट सेंसिंग उपग्रह भारत की सेवा में है।