दवे का पूरा जीवन नर्मदा की सेवा करने और पर्यावरण को बचाने में समर्पित रहा. वह हर साल होशंगाबाद के नजदीक नर्मदा के तट पर नदी महोत्सव का आयोजन करते थे. तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश से पर्यावरण प्रेमी हिस्सा लेते हैं. मुझे भी एक बार इस उत्सव में हिस्सा लेने का अवसर मिला था. इसमें छात्रों की भागीदारी और उनका उत्साह मुझे हमेशा याद रहेगा.
उनकी वसीयत के अनुसार-उनका अंतिम संस्कार नर्मदा किनारे ही किया जाएगा. जनता के सामने उमा भारती का चेहरा पेश किया गया, लेकिन पर्दे के पीछे रणनीति बनाने वालों में अनिल दवे प्रमुख भूमिका में थे. उनके चुनावी प्रबंधन, कुशल रणनीति और कार्यकर्ताओं से जीवंत संपर्क और संगठन पर मजबूत पकड़ की तब बहुत चर्चा हुई. इस चुनाव में बीजेपी ने दिग्विजय सिंह को ‘श्रीमान बंटाधार’ कहा था. ये जुमला जबर्दस्त हिट हुआ था और कांग्रेस इस चुनाव में हार गई थी.
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