अपने एक इंटरव्यू में अतीत के पन्नो को पलटते हुए रवीना टंडन ने कहा कि “एक दिन रात को करीब 3 बजे में मुंबई की सड़क पर ड्राइविंग कर रही थी. उन दिनों घर जैसे मुझे काटने को दौड़ता था, इसलिए मैं ज्यादातर घर से बाहर रहना ही पसंद करती थी.” रात को करीब 3 से चार बजे के बीच मैंने देखा कि झुग्गी में एक औरत अपने पति से लड़ रही है. वह उसे पीट रहा था और वह रो रही थी. लेकिन जैसे ही उसका बच्चा बीच में आया, वह उसे उठाकर बाहर रोड पर आ गई और उसके साथ खेलने लगी.
उसे देखकर लग ही नहीं रहा था कि अभी एक पल में वह इतनी दुखी थी. उस समय मैंने अपने अंदर एक अजीब सी आवाज महसूस की जिसने मुझसे कहा कि क्या हो गया है रवीना, क्यों तुम एक आदमी के चले जाने से इतनी दुखी क्यों हो कि जीना नहीं चाहतीं. वो औरत जिसके पास रहने को घर तक नहीं है वह भी खुद को संभाल रही है और तुम जिसके पास करोड़ों का घर है, लाखों की गाड़ी है, नौकर हैं सब कुछ है, फिर तुम क्यों खुद को इस तरह से बर्बाद कर रही हो. बस मैंने उसी पल कसम खाई कि अब पुरानी बातों के बारे में नहीं सोचूंगी. उस दिन से लेकर आज तक मैंने पीछे नहीं देखा और उसी का परिणाम है कि आज मैं अपने परिवार के साथ खुश हूं. मैं उनके साथ बहुत खुश रहती हूं और उनकी खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं.