भारत दुनिया का सबसे विशाल प्रजातंत्र है और चुनाव यहां लोकतंत्र का महोत्सव हैं। आजाद भारत का पहला चुनाव, प्रचार अभियान और मतदान की प्रक्रिया के चलते दुनिया के लिए आश्चर्य बन गया था। लेकिन समय बदला और इसके साथ ही बदल गए हिंदुस्तान में चुनाव और इसके प्रचार के तौर-तरीके भी।बसे अहम परिवर्तन हुआ 21वीं सदी में जब राजनीतिक दलों के सामने सोशल मीडिया एक ब्रह्मास्त्र के रूप में सामने आया। इसके जरिये राजनीतिक दलों ने न केवल प्रचार किया बल्कि बाकायदा कैंपेन चलाए, हर मुद्दे पर अपनी बात रखी और अपना पक्ष रखा। साल 2014 में देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल बीजेपी ने जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जितना इस माध्यम का प्रयोग किया, उतना किसी दल ने नहीं किया।
अब 2017 से देश में लोकतंत्र का चुनावी महोत्सव शुरू होने जा रहा है। अगले साल देश के विशाल राज्य उत्तर प्रदेश और पंजाब के साथ ही 2019 तक तकरीबन 14 राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे में बीजेपी ने सोशल मीडिया पर खुदको इतना सक्रिय कर लिया है कि देश का कोई भी राजनीतिक दल उसके आगे दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा। हालांकि ऐसा नहीं है कि दूसरे सियासी दल सोशल मीडिया पर नहीं हैं, लेकिन वे प्रचार में पिछड़ रहे हैं। उनकी उपस्थिति वैसी नहीं है, जैसी बीजेपी की है।
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