22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया तो दूसरी ओर पाकिस्तान से लाशे और हिंदू शरणार्थी आने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा था. इसी बीच माउंटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था. आक्रमण और पलायन को देखते हुए केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने उसे टालने का निर्णय लिया.लेकिन गान्धी जी उसी समय यह राशि तुरन्त पाकिस्तान को दिलवाने के लिए आमरण अनशन पर बैठ गए. गोडसे जैसे तैसे इस बात को सहन कर गए. बावजूद इसके गांधी जी से नाराज गोडसे के मन में अभी तक उनकी हत्या कोई खयाल नहीं आया था.
अभी तक बंटवारे, हिंदूओं का कत्लेआम और महिलाओं के साथ बलात्कार को लेकर गोडसे का गुस्सा जिन्ना और मुस्लिमों के प्रति अधिक था न कि गांधी जी के प्रति. दिल्ली में गोडसे पाकिस्तान से आने वाले हिंदू शरणार्थियों के कैंपों घूम घूम लोगों की सहायता के कार्य में लगा था.
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