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जितना मैं अपने समाज को जानती हूं, पुरुषों पर भी विवाह और बच्चे करने का उतना ही दबाव रहता है. और शारीरिक होने, विवाह करने और बच्चे करने से जुड़े मामलों में जितना दबाव या मनाही महिलाओं पर है, पुरुषों पर भी उतनी ही है.अंत में, मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि
अगर जागरूकता फैलानी है, तो महिलाओं से कहीं अधिक पुरुषों को जागरूक करने की ज़रूरत है. भटकने से बचते हुए हमें यह सोचना होगा कि हम महिलाओं को किस दिशा में जागरूक बनाएं. वास्तव में हमारे देश और समाज की महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए किस तरह के संदेशों की ज़रूरत है…
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