अगर हम वाकई महिलाओं के लिए न्याय और समानता चाहते हैं, तो हमें समझना होगा कि सिर्फ महिलाओं को जागरूक करने से हम अपना लक्ष्य नहीं पा सकते. हमें उन पुरुषों को भी जागरूक बनाना होगा, जो इस असमानता को बढ़ावा देते हैं. इसके लिए हमें सिर्फ महिलाओं पर केंद्रित वीडियो या विषयों पर जागरूकता से कहीं ज़्यादा पुरुषों को यह समझाना होगा.
तीसरी बात, यदाकदा ऐसे वीडियो भी देखने को मिलते हैं, जिनमें पुरुषों के लिए कोई संदेश हो. लेकिन कभी भी उन्हें ऐसे संदेश नहीं दिए जाते, जैसे महिलाओं को – ‘यह आपकी मर्ज़ी है कि आप शादी करें या न करें’, ‘शादी से पहले सेक्स करें या न करें’, ‘बच्चे पैदा करें या न करें’, या तो महिलाओं में इस तरह की जागरूकता फैलाने वाला यह तबका मान चुका है कि पुरुष तो विवाह से पहले किसी न किसी के साथ शारीरिक हो ही चुका होता है. बस, एक महिला नहीं होती, तो उसे भी इस क्षेत्र में आज़ादी होनी चाहिए…