मैं जब भी इस तरह के वीडियो देखती हूं, कुछ बातें ज़हन में घूमती हैं. सोचती हूं, जितनी बोल्डनेस के साथ ये वीडियो बनाए जाते हैं या जिस खुलेपन की बात इन वीडियों में ज़्यादातर होती है, वह शायद केवल शहरी लड़कियों तक ही सीमित है. गांव-कस्बों की वे लड़कियां, जो अकेले घर से बाहर तक नहीं जा सकतीं, जिन्हें घर के मामलों में बोलने का हक नहीं, जो सरकारी स्कूल के बाद सिर्फ रसोई तक सीमित हैं, जिन्हें कभी ‘पराया धन’ या ‘घर की इज़्ज़त’ के अलावा कुछ समझा या समझाया ही न गया, वे तथाकथित देवियां कैसे अचानक तीन मिनट का एक वीडियो देखकर स्वयं को ‘नग्न’ कर सकती हैं. उन परिजनों और समाज के सामने, जिन्होंने उन्हें सालों से शर्म की चुनरी में छिपाकर, सहेजकर रखा है…
नेहा ने इस वीडियो के अंत में अपने कपड़े उतारकर फेंक दिए, लेकिन सवाल यह है कि क्या कपड़े उतारने, शादी न करने, और विवाह से पहले शारीरिक होने से ही लड़कियां ‘बोल्ड और ब्यूटीफुल’ होंगी…? आखिर इन सब की बजाय उन्हें यह क्यों नहीं कहा जाता कि अपनी शिक्षा के लिए लड़ो, घर से बाहर की दुनिया को सीखने के लिए लड़ो, शादी या बच्चे करने न करने के लिए नहीं, अपना करियर बनाने के लिए लड़ो…