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केंद्र ने अपने नए हलफनामे में इन प्रथाओं को ‘‘पितृ सत्तात्मक मूल्य और समाज में महिलाओं की भूमिका के बारे में चली आने वाली पारम्परिक धारणाएं’’ बताया। केंद्र ने कहा कि ‘‘एक महिला की मानवीय गरिमा, सामाजिक सम्मान एवं आत्म मूल्य के अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत उसे मिले जीवन के अधिकार के अहम पहलू हैं।’’
हालांकि उच्चतम न्यायालय में सरकार की ओर से पेश नए हलफनामे को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अस्पष्ट करार दिया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्ददी ने कहा कि यह हलफनामा वैसा ही है जैसे कोई नतीजा निकाल बैठे कि संविधान में मंदिरों को जो सुरक्षा दी गई है, उसमें मंदिर के अंदर पूजा करना शामिल नहीं है।
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