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पार्टी में कुछ नेताओं का मानना है कि राज्य में सरकार बनने के बाद पार्टी ने जाति आधार पर ओबीसी, ठाकुर और ब्राह्मण को काफी कुछ दिया है. इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी अब अध्यक्ष पद पर किसी दलित नेता के नाम पर विचार कर रही है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है कि पार्टी मायावती की बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में काफी तेजी से सेंध लगाना चाहती है.
उल्लेखनीय है कि इस बार हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की करीब 85 आरक्षित सीटों में से बीजेपी ने 69 जीती हैं. पार्टी यह प्रयास कर रही है कि इन सीटों को बरकरार रखने और आगे के चुनाव में इसे सुदृढ़ करने के लिए यह जरूरी है कि पार्टी किसी दलित को पार्टी अध्यक्ष की कमान सौंपे. कहा जा रहा है कि पार्टी किसी जाटव समाज के नेता को यह जिम्मेदारी दे सकती है.
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