Chanakya Niti: आचार्य चा’णक्य (Acharya Chanakya) के अनु’सार जिस व्य’क्ति के पास धर्म और दया नहीं है, उसे स्वयं से दूर करो और जिस गुरु के पास आध्या’त्मिक ज्ञान न हो, उसे भी दूर करो.
Chanakya Niti: आचार्य चाण’क्य (Acharya Chanakya) ने नीति शास्त्र के माध्यम से अपने ज्ञान और अनु’भव के आधार पर जहां जीवन की परिस्थि’तियों का सामना करने और सुख-दुख में विच’लित न होने के लिए कई महत्व’पूर्ण बातें बताई हैं, वहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिस व्य’क्ति के पास धर्म और दया नहीं है, उसे स्वयं से दूर करो और जिस गुरु के पास आध्या’त्मिक ज्ञान न हो, उसे भी दूर करो. आचार्य चाण’क्य एक कुशल राजनी’तिज्ञ, चतुर कूटनी’तिज्ञ, प्रकांड अर्थशा’स्त्री के रूप में विख्या’त हुए. उनकी कु’शाग्र बुद्धि और तार्किकता से सभी प्रभावित थे. यही वजह है कि वह कौटिल्य (Kautilya) कहे जाने लगे. चाण’क्य नीति में आचार्य चाणक्य द्वारा वर्णित नी’तियां आज भी प्रासं’गिक हैं. आइए जानें इसकी खास बातें-
चलें साधुओं के बताए मार्ग पर
चाणक्य नीति कहती है कि पुत्र, मित्र, सगे संबंधी साधु’ओं को देखकर दूर भागते हैं, लेकिन जो लोग साधुओं का अनु’सरण करते हैं, उनमें भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है.
मृत्यु के बाद सब व्यर्थ
चाणक्य नीति के अनुसार जब आपका शरीर स्व’स्थ हो और आपके नियं’त्रण में हो, तो उसी समय आत्म’साक्षा’त्कार का उपाय कर लेना चाहिए, क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता.
संतजन की संगति बेहतर
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस तरह मछली अपनी दृ’ष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्प’र्श करके अपने बच्चो को पा’लते हैं. इसी तरह संतजन की संगति मनु’ष्य का पालन-पोषण करती है.
विद्या कामधेनु के समान
चाणक्य नीति कहती है कि विद्या अर्ज’न करना काम’धेनु के समान है, जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक और हित’कारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है.
तप हमेशा अकेले करें
आ’चार्य चाणक्य के अनुसार जब आप तप करते हैं, तो अकेले करें और जब आप अभ्या’स करते हैं, तो दूसरे के साथ करें. इसी तरह गायन करते हैं, तो तीन लोग मिल कर करें. वहीं कृ’षि चार लोग करें और युद्ध अनेक लोग मिलकर करें.
जिसके पास दया नहीं उसे दूर करो
चाण’क्य नीति के अनुसार जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है, उसे दूर करो. जिस गुरु के पास आध्या’त्मिक ज्ञान नहीं है, उसे भी दूर करो. जिस प’त्नी के चेहरे पर हर’दम घृणा है, उसे दूर करो. जिन रिश्ते’दारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो.