पुराणों में नीलकंठ पक्षी को शुभता का प्रतीक माना गया है. द’शहरे के दिन हर स’नातनी घर की छत पर जाकर नीलकंठ पक्षी को निहा’रने की कोशिश करता है. माना जाता है कि यदि द’शह’रे पर इस पक्षी को दर्शन हो जाएं तो साल भर शुभ काम चलते रहते हैं.
राव’ण के व’ध के बाद भगवान राम ने की थी भगवान शिव की आराधना
कि’वदंति’यों के मु’ताबि’क लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्रा’ह्मण ह’त्या का पा’प लगा था. भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की एवं ब्रा’ह्मण ह’त्या के पा’प से खूद को मु’क्त कराया. तब भगवान शिव नीलकं’ठ पक्षी के रुप में धर’ती पर पधारे थे.
धरती पर भगवान शिव का प्रतिनिधि है नीलकंठ पक्षी
जनश्रुति और धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नी’लकण्ठ है. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्र’तिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है. नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है. भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विच’रण करते हैं.
द’शह’रे पर नीलकंठ का दर्शन होता है शुभदायक रोलर वर्ग का पक्षी है और मुख्यतः उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पाया जाता है. दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के द’र्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं. सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है.
पेड़ों या तारों पर दिख जाता है नीलकंठ पक्षी
नीलकंठ को अक्सर प्रमुख पेड़ों या तारों पर देखा जाता है..यह पक्षी मुख्य रूप से प्रजनन के मौसम में नर की हवाई कलाबाजी के लिए जाना जाता है. यह अक्सर सड़क के किनारे पेड़ों और तारों में बैठे हुए देखे जाते है और आमतौर पर खुले घास के मैदान और झाड़ियों के जंगलों में देखे जाते है. इन पक्षियों की सबसे बड़ी आबादी भारत में पाई जाती है.