इस बार भारत ने अपना जज्बा विदेशों को दिखा ही दिया। हिंद महासागर के बंगाल की खाड़ी में भारत-अमेरिका और जापान के नौसेनाओं के संयुक्त अभ्यास मालाबार-2017 हुआ। तीनों देशों के युद्धभ्यास में भारत नौसेना के जज्बे को देखकर अमेरिका-जापान नौसेना ने सलाम किया। दुनिया के सबसे बड़े युद्धपोत USS Nimitz और भारत का आईएनएस विक्रमादित्य, अमेरिका का निमित्ज और जापान का इजुमो विमान वाहक पोत ने पानी के अंदर हलचल मचा दी।
आपकों बता दें कि भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं का ये संयुक्त अभ्यास 1992 से शुरू हुआ था। और तब से अब तक हर साल होता है। दस दिन तक ये अभ्यास चलता हैं। जिसमें विमानवाहन पोत, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां और जंगी जहाज शामिल हुए। इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य ऑपरेशन के दौरान बेहतर तालमेल बनाना हैं। इस अभ्यास में समंदर में तीनों देशों की सेनाओं की ताकत और अत्याधुनिक तकनीक का जज़्बा दिखाया जाता हैं।
मौसम खराब होने और संमुद्र में ऊंची लहरों के बावजूद तीनों नौसेनाओं के जवानों ने जीजीविषा की मिसाल पेश की. युद्धाभ्यास के दौरान आपसी सामजंस्य के प्रदर्शन के तहत तीनों सेनाओं के लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टर्स ने एक दूसरे के युद्धपोतों से उड़ान भरी. अमेरिकी शिप USS Shoup से उड़ा एक अमेरिकी हेलिकॉप्टर आईएनएस सहयाद्री और जेएन शाजानामी पर लैंड हुआ.
भारत के सबसे बड़े युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य से लड़ाकू विमान मिग-29K ने उड़ान भरी और उसने अमेरिकी युद्धपोत USS Nimitz से उड़े लड़ाक जेट F-18 का मुकाबला किया. दोनों लड़ाकू विमानों ने रणनीति के तहत एक दूसरे से लोहा लिया.
इस बार के 21वें मालाबार युद्धभ्यास की खास बात ये थी कि पहली बार तीन विमानवाहक पोत शामिल हुए। जिसमें दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राप्ट कैरियर USS Nimitz का शामिल होना बेहद अहम माना जा रहा हैं। भारत के सबसे बड़े विमानवाहक पोत विक्रमादित्य की अगुवाई में छाह से सात युद्धपोत और एक पनडुब्बी शामिल हुए। जिसमें पानी के अंदर उथल-फुथल मचा दिया।
वहीं अमेरिका की ओर से 100,000 टन वजनी विमानवाहक पोत निमित्ज के साथ तीन से चार डिस्ट्रॉयर और परमाणु पनडुब्बी शामिल हुए। जापान भी अपनी ताकत दिखाने पीछे नहीं रहा और 27 हजार टन वजनी हेलिकॉप्टर करियर इजुमो के अलावा कई युद्धपोत शामिल हुए।
भारत और चीन का कुछ दिनों से वैसे भी टकराव देखा जा रहा है। और इस तनातनी के बीच तीनों देशों के युद्धभ्यास से चीन का रेवैया तेढ़ा लग रहा हैं। चीन हमेशा इस अभ्यास को संदेह से देखता है। क्योंकि चीन की इन देशों के साथ कोई न कोई मुद्दें को लेकर विरोध रहा है। जिससे उसकों लगता है इन सब से उसकों घेरा जा रहा हैं।