सबका साथ सबका विकास के नारे में मुस्लिम महिलाओं का सम्मान व गरिमा अब केंद्र में आने लगा है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन तलाक का मुद्दा उठाया जाना साफ संकेत था कि सरकार और भाजपा अगर भारत को विश्र्व गुरु बनाने का सपना देख रही है तो उसमें मुस्लिम समाज की कुरीतियों को खत्म करना भी शामिल है।
वहीं पिछड़ा वर्ग में आनेवाले मुस्लिम समाज तक पिछड़ों को मिलने वाला लाभ सुनिश्चत करने की बात कहकर यह संदेश और स्पष्ट कर दिया है कि सरकार हस्तक्षेप नहीं विकास के लिए काम कर रही है। एक दिन पहले ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के लिए स्वर्णिम काल का राजनीतिक मंत्र दिया था। रविवार को समापन संबोधन में मोदी ने इसे हासिल करने रास्ता दिखा दिया।
एक तरफ जहां नया भारत के निर्माण के लिए उन्होंने लोकहित को ध्यान मे रखकर कदम बढ़ाने को कहा वहीं यह आह्वान भी किया कि बड़ी छलांग लगानी है तो पुरुषार्थ को जगाकर तेजी से चलना पड़ेगा। इसी क्त्रम में उन्होंने जनधन के साथ साथ वनधन और जलधन का नया सूत्र भी दिया। उन्होंने समझाया कि जनधन जहां आर्थिक सूत्र है वही वनधन पर्यावरण के साथ साथ जंगलों मे रहने वाले वनवासियों के विकास से जुड़ा सामाजिक और आर्थिक मंत्र है। जबकि जलधन प्रशासनिक सोच को भी दर्शाता है। इस क्त्रम में प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना का भी उल्लेख हुआ।
बताते हैं कि प्रधानमंत्री का पूरा भाषण दरअसल सामाजिक आथिर्क पहलू पर केंद्रित था और राजनीतिक पुट तभी आया जब ईवीएम जैसे मुद्दे पर विपक्षी दलों की बात छिड़ी। सामाजिक पहलू को लेकर प्रधानमंत्री कितने संवेदनशील थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुबह पिछड़ा वर्ग आयोग को लेकर विशेष प्रस्ताव आया तो प्रधानमंत्री ने भी हस्तक्षेप किया।