चीनी सरकार का सबसे बड़ा झूठ हुआ दुनियाभर के सामने बेनकाब, अब पीछे हटेगी डोकलाम से चीनी सेना !

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भारत-भूटान-चीन के त्रिकोणीय कोण पर स्थित डोकलाम को भारत, भूटान का हिस्सा मानता है. इसी हिस्से पर चीन अपना कब्ज़ा जमाता है. यही कारण है की जब चीन मनमाने ढंग से डोकलाम के पास सड़क निर्माण कर रहा था तो भारत ने इसका कड़ा विरोध किया था. यहीं से दोनों देशों की सीमाओं पर तनाव बढ़ता गया. भारत और चीन, दोनों ही सेनाएं पीछे हटने को तैयार नही है. हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है की यह स्थिति युद्ध तक नही जायेगी और दोनों ही देश कूटनीतिक प्रक्रिया से इस मसले का हल निकाल लेंगे.

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भारत से सीमा विवाद के बीच चीन बार-बार झूठी बातें फैला कर अपने देश को बरगला रहा है. हाल ही में चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान और नक्शा जारी करके ये दावा किया है की भारत ने डोकलाम में तैनात सैनकों की संख्या कम कर दी है. चीन का कहना है की विवादित जगह पर एक समय में भारत ने 400 सैनिक तैनात कर रखे थे. लेकिन अब वो घटकर 40 पहुँच गए है. चीन ने कहा है की पहले भारत के 2 बुलडोज़र डोकलाम में तैनात थे जो की अब जुलाई के अंत में घटकर 1 ही बचा है.

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दरअसल, विवाद की शुरुआत 6 जून को शुरू हुई थी जब चीनी सैनिकों ने 2 भारतीय बंकर नष्ट किये थे. विवाद यही से बढ़ता गया था. चीनी विदेश मंत्रालय ने विस्तृत बयान जारी किया है जिसमे एक तस्वीर जारी की गयी है.इसमें ग्राफ़िक्स के सहारे भारतीय सेना और विवादित इलाके की स्थिति दिखाई गयी है.

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी बुधवार को जारी किये गए अपने एक बयान में कहा है की भारत-चीन सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण है. हालाँकि, इसमें चीनी विदेश मंत्री के दावे के बारे में कुछ भी मेंशन नही हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के सैन्य अधिकारियों ने डोकलाम पर अपनी पुरानी स्थिति बरकरार रखी है. चीन के विदेश मंत्रालय की सैन्य संख्या बल कम होने का दावा भी इस रिपोर्ट में गलत बताया गया है.

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चीन ने पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है की सीमा विवाद पर भारत से बात तभी होगी जब वह अपनी सेना डोकलाम से वापस लेगा. भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी संसद में बयान देते हुए कहा था की डोकलाम में दोनों ही देशों की सेनाओं को एक साथ पीछे हटना होगा. भारत ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है की डोकलाम सीमा उसकी सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण और संवेदनशील है, इसीलिए इलाके से जुड़ी किसी भी बात-चीत के लिए सम्बंधित देशों को शामिल किया जाए.

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