भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम में भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है. चीन हमेशा से ही भारत-भूटान-चीन के त्रिकोणीय कोण पर स्थित डोकलाम पर कब्ज़ा करना चाहता था. चीन ने डोकलाम के पास जिस सड़क निर्माण का काम शुरू किया था, उसी को रोकने के लिए भारतीय सेना ने विरोध किया था और यही से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया. हाल यह है की, आज भारत और चीन दोनों ही सेनाएं सीमा पर सक्रिय है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक़, चीन के विशेषज्ञों ने शी जिनपिंग सरकार को चेतावनी दी है की अगर भारत के साथ सीमा विवाद बढ़ा तो चीन को इसके नकारात्मक अंजाम भुगतने पड़ सकते है. बीजिंग को यह चेतावनी भी दी गयी है की अगर भारत के साथ तनाव बढ़ा तो यह उसके महत्वकांक्षी योजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ के लिए भी खतरा हो सकता है. एंटनी वोंग दोंग, जो चीन के सैन्य विशेषज्ञ है, उन्होंने चेतावनी दी है की डोकलाम विवाद पर चीन का अड़ियल रुख भारत को उससे दूर कर रहा है. इसका नतीजा शायद यह हो की भारत उसका दुश्मन बन जाए.
वोंग ने एक साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट में कहा है की ‘चीन भारत के साथ मनोवैज्ञानिक जंग लड़ रहा है..लेकिन उसे यह एहसास भी होना चाहिए की भले ही चीन भारत को ज़मीन पर हरा दे लेकिन फिर PLA नेवी के लिए समंदर में भारत से पार पाना लगभग नामुमकिन है. उन्होंने कहा की चीन प्राथमिक रूप से आयातित तेल पर निर्भर है और हाल ही में चीन के सरकारी मीडिया में छपी एक रिपोर्टों के अनुसार उसका 80 फीसदी तेल हिन्द महासागर के रास्ते से आता है. भारत के साथ सीधे लड़ाई में चीन को भारत से भारी नुकसान समंदर से पहुँच सकता है. यही कारण है की भारत की भौगोलिक स्थिति चीन के तेल आयात को बाधित कर सकता है.
चीन के ही एक अन्य विशेषज्ञ सुन शइहाई ने अखबार से बातचीत में कहा है की तीन दशकों में पहली बार भारत और चीन के बीच ये सीधा टकराव है. अगर ये विवाद लम्बा खींचा तो भारत में चीन विरोधी भावनाएं प्रबल हो सकती है. उनका मानना है की चीन की महत्वकांछी योजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ को भी भारत के साथ सीमा विवाद के चलते खतरा हो सकता है. भारत भौगोलिक रूप से वन बेल्ट, वन रोड के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है.