भारत जब आज़ाद हुआ था, तो भारत के संविधान को बनाने के लिए डा.भीमराव अंबेडकर और डा. राजेन्द्र प्रसाद ने दुसरे देशों का भ्रमण करने के बाद ही भारत के संविधान का निर्माण किया था. संविधान को बनने में कुल 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा. कहते है, भारत का संविधान दुसरे देशों से अपनाया गया है. जिसमें ऐसी धाराएँ बनाई गई जिसके अंतर्गत कानूनों का उलंघन करने वाले और किसी अपराध में दोषी पाए जाने वाले अपराधी के लिए सजा का प्रावधान निश्चित किया गया. लेकिन शुरू से लेकर अब तक समय समय पर भारतीय संविधान में बहुत से बदलाव होते आ रहे हैं.
इन धाराओं में एक धारा ऐसी है जिसको लेकर मोदी सरकार ने नया रुख अपना लिया है. जिसके बाद पुरे भारत में हडकंप सा मच गया है. जानकारी के मुताबिक 12 अगस्त को मोदी सरकार धारा 370 को लेकर एक बड़ी बैठक करने वाले है. जिसमें इस धारा को लेकर बड़ा फैसला लिया जायेगा. लेकिन चोंकाने वाली बात ये है कि इस बार मोदी सरकार ने इस बैठक में विपक्ष को भी शामिल करने का फैसला लिया है.
विवादों में रही है धारा 370
कुछ धाराएँ ऐसी होती है जो विवादों में घिर जाती है, जिनको लेकर लोगों के अंदर बहुत से सवाल होते है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला है धारा 370 के साथ, जो हमेशा से ही राजनितिक पार्टियों के बीच एक विवाद का मुद्दा बनी हुई है. इन दिन प्रतिदिन बढ़ते विवादों को समाप्त करने के लिए वर्तमान की मोदी सरकार ने इसको लेकर एक बड़ी बैठक की घोषणा की है जो 12 अगस्त को होने वाली है. यह बैठक इतनी महत्वपूर्ण है, जिसमें सरकार ने विपक्ष को भी न्यौता देना सही समझा है. क्योंकि ये फैसला संविधान की धारा को लेकर लिया जाने वाला है.
क्या है धारा 370
जब सन 1947 में भारत अंग्रेजों के चंगुल से आज़ाद हुआ था तो भारत में बहुत सी छोटी छोटी रियासतें थी जिनका भारत में विलय हो गया. जिसमें से एक बड़ी रियासत थी जम्मू और कश्मीर, जिसके राजा हरिसिंह हुआ करते थे. लेकिन जम्मू और कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल करने की बात हो रही थी. तो उसके शामिल करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने उस पर हमला कर दिया. जिसके बाद उन हालतों में गोपालस्वामी आयंगर ने संघीय संविधान सभा में धारा 306-ए, जो बाद में धारा 370 बनी, का प्रारूप प्रस्तुत किया। इस तरह से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिल गए।
लेकिन भारत में धारा 370 के विवादों को देखते हुए मोदी सरकार ने इस धारा को हटाने का पूरा मन बना लिया है. लेकिन धारा 370 जम्मू और कश्मीर को एक अलग पायदान पर लाकर खड़ा करता है, फिर चाहे वो अलग झंडे की बात हो या उसके अलग संविधान की बात हो. 31 महीनों से मोदी सरकार इस धारा को समाप्त करने की कोशिश अब शायद पूरी होती नज़र आ रही है. ये बड़ा फैसला जम्मू-कश्मीर की जनता की अपील को लेकर लिया है. जिसमें उन्होंने घाटी में शांति का माहौल बनाने को लेकर मोदी से अपील की थी.