प्रणव मुखर्जी रास्ट्रपति पद पर रहते हुए अपने इस कार्य के लिए हमेशा याद किये जायेंगे!

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22 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति बने प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल २४ जुलाई को ख़त्म हो रहा है| प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल ख़त्म होने में अब बस चाँद दिन ही बचे है| ये स्वभाविक है कि बाकी राष्ट्रपति की तरह प्रणव मुखर्जी भी अपने कार्यकाल के लिए याद किये जायेंगे| आम लोगो के बीच रास्ट्रपति के कार्यकाल के बारे में चर्चा तो होनी है इसके साथ- साथ अब लोग उनके कार्यकाल के बारे लेखाजोखा भी निकालने लगे है| आज हम आपको बताने जा रहे है कि 2012-2017 राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अपने किस कार्य के लिए याद किये जायेंगे|

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दरअसल राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल दहशत गर्दो के लिए शामत की तरह रहा| प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल में मुंबई 26\11 के हमले में एकलौता पकड़ा गया आतंकी कसाब, संसद भवन पर हमले का दोषी अफजल गुरु और 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा पर फौरान मुहर लगा दी| यानी प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल इस काम के लिए याद किया जाएगा कि उन्होंने देश के तीन बड़े आतंकियों को फांसी की सजा दिलाने में अहम् भूमिका निभाई| कसाब को 2012, अफजल को 2013 और याकुब मेमन को 2015 में फांसी दी गयी थी|

इसके साथ ही साथ प्रणव मुखर्जी ने 37 खूंखार अपराधियों पर बिना रहम किये उनकी सजा को बरक़रार रखा था| रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर केस में अपराधी को फांसी की सजा दी जाती है| राष्ट्रपति ने 28 अपराधियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा| कार्यकाल समाप्ति के पहले मई महीने में इन्होने दो रेप अपराधियों दया करने से मना कर दिया जिसमें से एक इंदौर का था और दूसरा पुणे का| राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दौरान 4 दोषियों को जीवनदान भी दिया| ये बिहार के 1994 में अगड़ी जाति के 34 लोगों की हत्या के दोषी थे| कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेन्द्र सिंह उर्फ़ धारु सिंह की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था|

डा. अब्दुल कलाम वैसे तो फांसी के पक्षधर तो नही थे लेकिन बच्चों के साथ रेप के दोषी धनंजय का मामला जब उनके पास आया था तब उसकी फांसी की सजा बरक़रार रखा था| धनंजय चटर्जी को 2004 में फांसी दे दी गयी थी| इसके अलावा एक केस में उन्होंने ने दोषी दजा को उम्रकैद में बदला था| यूपीए के कार्यकाल में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अपने कार्यकाल के दौरान ३० दया याचिकाएं स्वीकार की और उन्होंने फांसी की सजा ख़त्म करने के लिए पहल करने को भी कहा था| वहीँ वेंकटरमण ने सबसे ज्यादा दया याचिकाए खारिज करने का रिकॉर्ड है| अपने कार्यकाल के दौरान 44 याचिकाएं ख़ारिज की|

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